Chandipura Virus:
यह कितना खतरनाक है?


chandipura virus

Chandipura Virus: चांदीपुरा वायरस एक बेहद खतरनाक वायरस है जिसका कोई विशेष टीका या एंटीवायरल उपचार उपलब्ध नहीं है| इससे संक्रमित मरीजों को सही समय पर सही उपचार नहीं मिला तो 24 से 72 घंटे में उनकी जान भी जा सकती हैl इस वायरस से होने वाली मृत्यु दर 55 से 78% है|

इस वायरस को चांदीपुरा वायरस क्यों कहते हैं?

यह वायरस सर्वप्रथम 1965 में भारत देश के महाराष्ट्र राज्य के चांदीपुर गांव में इसका प्रथम मामला सामने आया था, इसलिए इसका नाम चांदीपुरा वायरस रखा गया |

चांदीपुरा वायरस क्या है?

यह वायरस रैबडोविरिडे (Rhabdoviridae) परिवार के वेसिकुलोवायरस (Vesiculovirus) है जिसमें कई आरएनए वायरस शामिल है रैबडोविरिडे परिवार में रेबीज वायरस (Rabies virus), वेसिकुलर स्टोमैटाइटिस वायरस (Vesicular stomatitis virus) जैसी घातक बीमारियां शामिल हैl

यह वायरस 15 साल से कम उम्र के बच्चों को ज्यादा प्रभावित करता है। यह वायरस मुख्यतः मस्तिष्क की सूजन (एन्सेफलाइटिस) का कारण बनता है।

चंडीपुर वायरस फैलने का क्या कारण हैं?

यह वायरस फैलने का मुख्य कारण खून चूसने वाले छोटे कीड़ों है, उनमें से मुख्य कीड़ा जैसे कि सैंडफ्लाईज़, एडीज एजिप्टी, टिक्स।

  1. सैंडफ्लाईज़ (Sandflies):

    यह छोटे, बालों वाले मच्छर है जो फ्लेबोटॉमस (Phlebotomus) और लुत्ज़ोमिया (Lutzomyia) वंशों के अंतर्गत आता है। आमतौर पर उष्णकटिबंधीय (Tropical Region) और उपोष्णकटिबंधीय (Subtropical Region) जैसे क्षेत्रों में पाए जाते हैं। यह मच्छर लीशमैनियासिस (Leishmaniasis) जैसी बीमारियों को भी फैलाने का काम करता है।
  2. एडीज एजिप्टी (Aedes aegypti):

    एक मच्छर का प्रकार है जिसकी शरीर पर सफेद धारियाँ और काले रंग की होती हैं। इसके द्वारा फैलाए जाने वाली बीमारियाँ निम्नलिखित हैं:
    • डेंगू बुखार (Dengue Fever)
    • चिकनगुनिया (Chikungunya)
    • जीका वायरस (Zika Virus)
  3. टिक्स :

    एक ऐसा कीड़ा जो मुख्य रूप से स्तनधारी जानवरों, पक्षियों, और यहां तक कि मानवों के भी खून चूसता है। इसके द्वारा फैलाए जाने वाली बीमारियाँ निम्नलिखित हैं:
    • लाइम रोग (Lyme disease)
    • बबेसियोसिस (Babesiosis)
    • रिक्सेट्सिओसिस (Rickettsiosis)

इनके द्वारा बीमारियों के फैलने का मुख्य कारण यह भी है कि जब ये किसी बीमार व्यक्ति का खून चूसकर किसी स्वस्थ व्यक्ति को काटते हैं, तो ये बीमारी बीमार व्यक्ति से स्वस्थ व्यक्ति में संचारित हो जाती है।

चांदीपुर वायरस के लक्षण क्या हैं?

चांदीपुर वायरस के लक्षणों की बात करें तो, प्रारंभिक चरण में अचानक तेज बुखार, सिरदर्द, और मांसपेशियों में दर्द देखा जा सकता है, जो कि फ्लू के लक्षणों के समान मिलता-जुलता हैं।

मध्य चरण की बात करें तो बुखार और अधिक बढ़ जाना, उल्टी, दस्त और चक्कर आना जैसी समस्याएँ देखने को मिलती हैं।

उच्च चरण में, मस्तिष्क में सूजन, तंत्रिका संबंधी समस्या और कोमा में चले जाने जैसे गंभीर लक्षण देखने को मिलते हैं, इस कारण से 24 से 48 घंटों के भीतर मरीज की मौत हो जाती है।

चांदीपुर वायरस का इलाज क्या है?

इसके इलाज की बात करें तो अब तक इसका कोई विशेष एंटीवायरल दवा या थेरापी नहीं है, इसलिए इसका इलाज लक्षणों के प्रबंधन के आधार पर होता है। जैसे कि:

  • बुखार को कम करने के लिए दवा देना।
  • शरीर में पानी और इलेक्ट्रोलाइट्स की कमी के लिए उचित तरल पदार्थ देना।
  • गंभीर मामलों में मरीज को आईसीयू में भी रखा जा सकता है ताकि अच्छी तरह से निगरानी और देखभाल की जा सकेl

चांदीपुर वायरस से बचाव कैसे करें?

इस घातक वायरस से बचाव के लिए निम्नलिखित उपायों की आवश्यकता है:

  • वायरस से संबंधित लक्षण महसूस होने पर लापरवाही न दिखाएं; तुरंत अस्पताल जाकर स्वास्थ्य जांच करवाएं।
  • मच्छरों या सैंडफ्लाई से बचाव के लिए रिपेलेंट्स का उपयोग करें।
  • सोते समय मच्छरदानी का उपयोग करें।
  • अधिक से अधिक कपड़ों से शरीर को ढक कर रखें।
  • घर और उसके आसपास के इलाकों को स्वच्छ रखें।
  • ठहरे हुए पानी को नियमित रूप से साफ करें, जैसे कि पुराने टायर, फूलदान, और जलस्रोत।
  • इस वायरस के प्रति जागरूकता बढ़ाएं।